जयपुर विश्व में गुलाबी नगरी के लिए प्रसिद्ध है| इस शहर की सुंदरता और वैभवता को देखकर पर्यटक यंहा की गुलाबी संस्कृति के रंग में रंग कर गुलाबी हो जाते है। वैसे तो राजस्थान प्रदेश पूरा ही अपनी लोक संस्कृति के लिए विख्यात है. परन्तु जयपुर के दंगल मेले, त्योहारों की रस्मो को देखता है तो पर्यटक उसमे समाए बिना नहीं रह सकता है पर्यटक यहां तीज त्योहारों, होली , मेलो में आने के लिए आतुर रहता हे इसके अलावा सिर्फ जयपुर में आयोजित होने ख़ास परम्परा गाली बाज़ी , पतंग बाज़ी, दंगल बाज़ी जैसे अनेक बाजियो मे रंगे बिना रह नहीं पता है| जयपुर शहर अखाड़े के लिए भी प्रसिद्ध है शहर के प्रत्येक गली मोहल्ले में कुश्ती के अखाड़े वर्षो पुराना इतिहास समेटे हुए है जिनमे कुछ तो सिमट गये है और कुछ आज भी अपना वजूद आज भी कायम किये है इनमे से एक है गुरु बलवंत व्यायामशाला|

आज़ादी के कुछ समय बाद ही मेरठ शहर के रहने वाले बलवंत सिंह सैनी जब जयपुर आए तो कुश्ती के अखाड़े बाज़ी का दौर चरम सीमा पर था अपने गली मोहल्ले में गुर व उस्ताद अपने - अपने चेले व पटठो के दम पर दम भरते थे और सभी अपने -अपने अखाड़ों के जाने मानें पहलवान हुआ करते थे इन अखाड़ों में प्राय: कुश्ती ही आत्म रक्षा का मुख्य आधार था लाठी संचालन का महत्त्व प्रभावशाली नहीं था जिसकी संभवत: अहम् वजह यह रही होगी की लाठी कला का कोई द्रोणाचार्य नहीं था परन्तु बलवंत सिंह सैनी लाठी क प्रखर ज्ञाता थे शहर मे लाठी का प्रभाव शहर के उस्तादों क बिच जमाना बड़ा कठिन था इसलिए बलवंत सिंह सैनी ने अपनी कला का लोहा मनवाने के लिए बड़े सौम्य तरीके से यहाँ के उस्तादों में लाठी के प्रभावों को देखना शुरू किया परन्तु यहाँ के उस्तादों ने कोई विशेष तवज्जो नहीं दी किन्तु बलवंत सिंह सैनी भी लाठी के बड़े उचे दर्जे कलाकर थे उन्होंने यहाँ के उस्तादों को लड़ंत में शरीर के विशेष अंग पर कहकर चोट मारने के चैलेंज का हुनर दिखाया तो यहाँ के उस्ताद भी बोल पड़े वाह उस्ताद वाह बस ये हुनर ही बलवंत सिंह सैनी की पहचान बन गया इसी हुनर से प्रभावित होकर सुमेर सिंह राठौड़, सैनी के संपर्क में आये वर्तमान गुरु सुमेर सिंह राठौड़, अपने गुरु के नाम से व्यायामशाला बलवंत व्यायामशाला का संचालन वर्ष 1979 से लगातार करते आये है। आईये, मिले गुरु सुमेर सिंह राठौड़ से और जाने बलवंत व्यायामशाला के अतीत के बारे में, जिसके बारे में सिर्फ राठौड़ ही वो शख्सियत है जिन्होंने इस इतिहास को नजदीक से देखा है।

जयपुर शहर के बीच चौगान स्टेडियम की दीवार से सटी हुई गणगौरी बाजार में हटेसिंह की बगीची में बलवंत व्यायामशाला का प्रांगण है इसी प्रांगण में गुरु बलवंत सिंह जी का एक स्टेचू उनकी याद प्रत्येक सदस्य को प्रतिदिन करवाता रहता है। गुरू सुमेर सिंह राठौड़ के अनुसार करीब दौ सौ वर्ष पूर्व मेरठ के मोरी पाड़ा में बंशी शुक्ल ने बजरंग व्यायामशाला के नाम से व्यायामशाला शुरू की थी और उसके बाद इस व्यायामशाला के गुरु के रूप में पंडित राम चंद्र शर्मा, पंडित बाबूराम तथा चौथे गुरु के रूप बलवंत सिंह सैनी के रूप में दायित्व निभाया। वर्ष 1947 में गुरु बलवंत सिंह जी ने बुंदू जी को ख़ालिफ़ा बनाकर जयपुर आ गए और फिर जयपुर के ही होकर रह गए गुरूजी बताते हे की गुरु बलवंत सिंह जी लाठी के विद्वान थे जयपुर के उस्तादों में लाठी संचालन का लोहा मनवाने के बाद गुरु बलवंत सिंह जी ने भी युवाओ को लाठी संचालन सीखना शुरू किया जयपुर शहर के बाग-बगीचों, मैदानों जहा जगह मिली वही सिखाना शुरू किया इस दौरान हटेसिंह की बगीची के महात्मा आत्मा राम ब्रह्मचारी ने गुरूजी को बुलाया और कहा की बिना शक्ति के भक्ति नहीं चलती इसलिए आप यहाँ व्यायाम शुरू करो। जिसमे गुरु सुमेर सिंह जी की भी अहम भूमिका रही।

वर्ष 1979 में गुरु बलवंत सिंह जी ने बजरंग व्यायामशाला का संचालक गुरु सुमेर सिंह राठौड़ को बनाया गुरु सुमेर सिंह ने अपनी गुरु दक्षिणा में व्यायामशाला का नाम बदलकर बलवंत व्यायामशाला के रूप में भेट की परन्तु गुरु की पगड़ी नहीं बंधवाई और गुरु जी के 100 वर्ष पूर्व होने के उपरांत 21 जनवरी 1984 को कुश्ती के मसीहा पद्म श्री गुरु हनुमान के हाथो गुरु की पगड़ी बंधवाई तथा गुरु की करीब 200 वर्षो पुरानी लाठी को ग्रहण किया। यही उत्तरदायित्व वर्तमान में गुरु सुमेर सिंह राठौड़ के पुत्र भगत सिंह राठौड़ को 21 जनवरी 2014 में गुरु सुमेर सिंह राठौड़ ने सौंप दिया।

वर्ष 1979 के बाद संचालक गुरु सुमेर सिंह राठौड़ के समय में व्यायामशाला की संख्या बढ़ने पर गुरु राठौड़ ने शहर के विभिन्न इलाको में उपशाखाहो की स्थापना की लाठी संचालन की प्रसिद्धि के कारण अन्य जिलों के लोगो ने भी अपने अपने जिलों में उपशाखाओ को स्थापित करवाया आज बलवंत व्यायामशाला की कुल 45 उपशाखाए संचालित हे जिनमे मोहन नगर को रविंद्र पारीक, गंगापोल को गोपाल सिंह, झोटवाड़ा को राजू शर्मा , गाँधी कॉलोनी को मोहन लाल महावर , नरसिंह जी की बगीची को अमर सिंह राठौड़ , नाहरी का नाका को केदार पाराशर , गेटोर रोड ब्रह्मपुरी को गोपी शुकला , शांति नगर सोडाला को रणजीत सिंह , केशव कॉलोनी को नारायण पहलवान , सरायवादी को देवीलाल महावर , खेड़ी दरवाजा को करण सिंह , महावर बस्ती आमेर को नंदकिशोर महावर , लाल वास को ताराचंद सैनी , गोनेर को पंडित अंगद शर्मा , करोली जिला को मोती लाल , महुवा को प्यारेलाल , धौलपुर को हरी सिंह पहाड़ी , अलवर को विक्रम सिंह सरदार, दोसा रोलहडिया को नरेंद्र सिंह राठौड़ , बबांदीकुई ग्राम पाड़ा को लाल सिंह , नदेरा को भंवर सिंह , मध्यप्रदेश इंदौर को विमल साहू , महुवा में निर्भय गुर्जर , महुवा में बजरंग सोनी , भरतपुर में सुमेर सिंह बांकावत , पकेष्व को बबलू बन्ना , ग्राम तामड़िया को बजरंग सिंह तंवर ये संचालक के रूप में संचालित करते हे।

गुरु सुमेर सिंह जी बताते हे की प्रारम्भ से ही व्यायामशाला के सदस्यों ने लाठी के अलावा अन्य खेलो में भी नाम रोशन किया व्यायामशाला ने विभिन्न खेलो में नेशनल तथा इंटरनेशनल स्तर के खिलाडी तैयार करने में सफलता हासिल की हे जिनमे कुछ एक नामो में गोपी शुक्ला , बॉक्सिंग में नेमि , शंकर सैनी , कबड्डी में रामचंद्र कसना , जिमनास्टिक में अशोक शर्मा , कराटे में कालू राम (ब्लैक बेल्ट अन्तर्राष्टीय ), जुडो में मनमोहन जायसवाल , वेट लिफ्टिंग में मुकेश दीक्षित , रेसिंग में मनमोहन सिंह चौहान , साइकिलिंग में भवानी सिंह आदि मुख्य हे। गुरु बलवंत सिंह व्यायामशाला ने जयपुर शहर में होने वाले सभी सांस्कृतिक मेले , जुलुस जलसो , मुख्य कार्यक्रमों में अपना प्रतिनिध्त्वि दिया है